ठगिनी और व्यापारी भाग-6
भाग-6
वह बूढा व्यक्ति यशवर्धन को जोर से आवाज देते हुए कहता है- अरे! बेटे कोई राहगीर लग रहे हो? शाम हो गई है रात-रात हमारे घर ठहर जाओ.
यशवर्धन उसकी बातों से प्रभावित होता है. वह बहुत थका हुआ था. वह उसके घर ठहरना चाहता था लेकिन अचानक उसे कछुए की कही गई बात याद आ जाती है की इस गाँव में एक घर ठगों का है और वो पैसे ठगने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. इस लिए वह बिना रुके आगे बढ़ने लगता है. लेकिन वह जैसे ही कुछ कदम आगे की ओर बढाता है. वह बूढा व्यक्ति पुन: पीछे से आवाज देता है – अरे! बेटा क्या सोच रहे हो? रात भर हमारे यहाँ रुक जाओ. तुम भले घर के लग रहे हो इस लिए बोला है.
यश- नहीं चाचाजी. मुझे अभी बहुत आगे जाना है इस लिए मैं नहीं रुक सकता.
बूढा व्यक्ति- अरे बेटा. तुम चाहे जितना अब आगे जाने का प्रयास कर लो लेकिन जा नहीं पाओगे..
यश- क्या मतलब?
बूढा व्यक्ति- मतलब साफ़ है बेटा. इस गाँव के आखिर में एक ठगों का घर है जो इस राज्य के जाने माने ठग हैं. वो किसी भी राहगीर को नहीं छोड़ते हैं. तुम्हारे लिए फायदे की बात यही है की तुम रात भर हमारे यहाँ ठहर जाओ और जैसे ही सुबह हो जाएगी मैं तुम्हे मेरे घोड़े पर बैठाकर गाँव से बाहर तक छोड़ आऊंगा..
यश- पर चाचाजी..
बूढा व्यक्ति- पर वर कुछ नहीं बेटा.. मेरा कहना मानो. रात भर ठहर जाओ. मुझे तुम भोले और भले लड़के प्रतीत हुए हो इस लिए कहा है वरना मैं अपने घर पर किसी को भी ठहरने नहीं देता हूँ. मेरे घर में मेरी दो जवान बेटियां हैं इस लिए मैं कभी किसी अनजान को अपने घर में नहीं रोकता लेकिन तुम अच्छे इंसान हो तो रात-रात रुक जाओ. सुबह होते ही चले जाना.
यश वर्धन को वह बूढा व्यक्ति बहुत भला लग रहा था. इस लिए उसने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है चाचाजी आप जब इतना कह ही रहे हैं तो रुक जाता हूँ.
बूढा व्यक्ति- अरे! वाह.. ये हुई न बात. चलो आओ बेटा आओ..
फिर वह उस बूढ़े व्यक्ति के साथ उसके घर में प्रवेश करता है. घर को देखने पर बहुत ही साधारण सा लग रहा था. यशवर्धन की नजर अचानक एक लड़की पर पड़ती है जो की लघभग तीस वर्ष की प्रतीत होती है. बीखरे हुए बाल. और मेले कुचेले से कपडे. ऐसा लग रहा था जैसे वह बूढा व्यक्ति बहुत ही गरीब था. वह लड़की एक चारपाई लेकर आती है और यशवर्धन के लिए लगा देती है.
बूढा व्यक्ति मुस्कुराते हुए कहता है- यह मेरी बड़ी बेटी है.. अनंतप्रिया. तीस बरस की हो चुकी है बेटा. लेकिन अब तक शादी नहीं हो रही है. अब क्या करूँ बेटा? बेटी का बाप हूँ तो लोगो को बेटी से ज्यादा सोने की चाह है.
यश वर्धन उस लड़की को देखते ही दुखी सा हो जाता है . वह लड़की कुछ ही पल में यशवर्धन के लिए पानी का गिलास लाती है. यशवर्धन पानी पिने के बाद धीमे से कहता है.- लेकिन आप तो कह रहे थे की आपके दो बेटियां हैं लेकिन छोटी वाली कहाँ है?
बूढा व्यक्ति- वो.. वो आज शाम के नाटक के लिए तैयार हो रही है.
यश- मतलब?
बूढा व्यक्ति- मतलब यह की मेरी बेटी गाँव में रामलीला में सीता की भूमिका निभाती है तो वह उसकी तैयारी कर रही है इस कारण हमसे ज्यादा बात नहीं करती. तुम एक कामकरो अभी जाओ और स्नान करके आ जाओ.. तब तक मेरी बेटी हमारे लिए खाना भी बना लेगी.
यश- ठीक है चाचाजी..
फिर वह बूढा व्यक्ति यशवर्धन के लिए स्नानागार में पानी रख देता है. वह उसे अपना तोलिया भी देता है.यश वर्धन अपने कपडे निकालता है और स्नानागार में नहाने चला जाता है. उसने आराम से स्नान किया और फिर उस जंघा वाली पट्टी को भी अच्छे से बाँध लिया. वह स्नान करने के बाद वापस उस चारपाई पर आकर आराम से बैठ जाता है.. कुछ ही देर में वह बूढा आदमी एक पानी का लौटा और एक बड़ी सी खाने की थाल लेकर आता है जिसमे खीर, हलवा, पूरी और आलू-छोले की सब्जी थी. वह उस थाल को यशवर्धन के आगे रख देता है. यशवर्धन को जोरों की भूख लगी हुई थी. वह बूढा व्यक्ति यशवर्धन से कहता है- अच्छा बेटा तुम खाओ. तब तक मैं कुछ काम करके आता हूँ और कुछ चाहिए तो बोल देना..
यशवर्धन- ठीक है चाचाजी..
यशवर्धन ने थाल को अपनी और खिसकाया और फिर हलवे को खीर के साथ मिलकर जैसे ही पहल निवाला लेने लगा अचानक उसे ब्राह्मण पुत्र का कहा गया दूसरा कथन याद आ जाता है की कभी भी तुम जब खाना खाओ तो पहला निवाला खुद खाने की बजाय किसी कुते-बिल्ली को खिलाना चाहिए इससे पुन्य होता है और कभी अन्नं की कमी नहीं होती. यशवर्धन ने तुरंत इधर-उधर नजर दौड़ाई तो उसने देखा की एक बिल्ली उसके बिलकुल पास में ही बैठी हुई थी. उसने उस निबाले को बिल्ली की तरफ फैंका. बिल्ली ने झट से निवाला खाया और जैसे ही यशवर्धन अगला निवाला अपने मुहं में लेने लगा वो बिल्ली झटपटाने लगी और मर गई..
यश वर्धन डर के मारे कांपने लगा. उसे पता चल गया की वो घर किसी साधारण बूढ़े आदमी का नहीं बल्कि उसी ठग का है जिसके बारे में उस कछुए ने बताया था. उस ठग और उसकी बेटी को शायद उसके मोतियों के बारे में पता चल गया था इस कारण उन्होंने उसके खाने में जहर मिला दिया था. अब तो वह मुशीबत में फंस गया था. कछुए के मुताबिक उस घर से निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था. डर के मारे वह सिहर गया. उसने कांपते हाथो से उस बिल्ली को उठाया और दीवार के उस पार फैंक दिया. उसने उस खाने की थाल को भी उस दीवार की दूसरी तरफ उडेल दिया. और फिर अपने हाथ धो लिए और पानी पीकर एक जोर से झूठी डकार ले ली ताकि उस ठग को सक नहीं हो की उसने खाना नहीं खाया है. लेकिन आगे उसके साथ क्या होगा यह वह नहीं जानता था..
क्रमश.......
Dilawar Singh
15-Feb-2024 02:43 PM
अद्भुत कहानी👌👌
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Fiza Tanvi
20-Nov-2021 01:09 PM
Good
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Miss Lipsa
30-Aug-2021 03:44 PM
Wow
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